वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
११ मई २०१४,
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
सोना सज्जन साधुजन, टूट जुड़ें सौ बार |
दुर्जन कुम्भ कुम्हार के, एकै धक्का दरार || (संत कबीर)
प्रसंग:
कौन है साधू?
कौन है दुर्जन?
कबीर जी इस दोहे के माध्यम से किस गहरायी की ओर इशारा कर रहे हैं?